Sher collection
अब और क्या किसी से मरासिम बढ़ाएँ हम
ये भी बहुत है तुझ को अगर भूल जाएँ हम
-Ahmad Faraz
ग़म हँसी में छुपा दिया मैने
सबको हँस के दिखा दिया मैने
-Syeda Farah
मुझको अब चैन से जीने की तमन्ना _ही नहीं
बस ये ख्वाहिश है कि अब चैन से मर जाऊं मैं।
-Almas Rizvi
क्यों लिखूँ ज़ुल्फ़-ओ-लब-ओ-रुख़सार पे नग़्मे बहुत
प्यार की पहली नज़र रुस्वाइयाँ ही क्यों लिखूँ
-Nakul Kumar
यूँ मर गया है दिल मेरा मुहब्बत से ऊब कर
जैसे मर गयी मछली कोई पानी में डूब कर
-Nakul Kumar
मुहब्बत ख़ुदकुशी करने चली है
मिरे दिल में कोई गहरा कुआ है
-Nakul Kumar
मैं भी कर सकता हूँ पूरी बारिशों की हर कमी
छोड़ कर होठों पे तेरे अपने होठों की नमी
-Nakul Kumar
दो जहाँ की ज़िंदगी जीकर चले हैं दो घड़ी
मरते मरते फ़िर मुझे कुछ और मरने दीजिये
-Nakul Kumar
बरसेंगी अब के चिट्ठियाँ सारे शहर में
लाया हूँ पेंसिल नयी तलवार बेचकर
-Nakul Kumar
लौट आया हूँ समंदर से इसी उम्मीद में
कोई तो मछली मिले ठहरे हुए इस ताल में
-Nakul Kumar